भारतीय संविधान के स्त्रोत | Samvidhan ke srot
भारतीय संविधान में विधि निर्माण प्रक्रिया कहाँ से ली गई है
भारतीय संविधान के स्त्रोत
डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में हमारे संविधान निर्माताओं ने विश्व के सर्वोत्तम संविधानों का गहन अध्ययन किया और देश की तत्कालीन आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार उनके महत्वपूर्ण उपबंधों को ग्रहण किया | इसके साथ ही अपने देश की प्राचीन प्रथाओं एवं अभिसमयों पुराने संवैधानिक अधिनियमों, अध्यादेशों इत्यादि को ध्यान में रखते हुए एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो भारत की तत्कालीन ही नहीं, भविष्य असाधारण परिस्थितियों में भी भली भांति कार्य कर सके
पुराने संवैधानिक अधिनियम
1858, 1892, 1909, 1919 के संवैधानिक अधिनियम मुख्य रूप से भारतीय संविधान के प्रेरणा स्त्रोत रहे, किन्तु 1935 के भारत शासन अधिनियम का भारतीय संविधान पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा | संविधान में करीब दो तिहाई प्रावधान 1935 अधिनियम से लिये गए हैं |
1. संसदीय प्रणाली -- ब्रिटेन
2. संसदीय विशेषाधिकार -- ब्रिटेन
3. संसद तथा विधानमण्डल की प्रक्रिया -- ब्रिटेन
4. सर्वोच्च न्यायालय का संगठन -- U.S.A
5. उपराष्ट्रपति का पद -- U.S.A
6. मौलिक अधिकार -- U.S.A
7. राष्ट्रपति का निर्वाचन -- आयरलैण्ड
8. राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में 12 सदस्यों के मनोनयन -- आयरलैण्ड
9. राज्य के नीति निदेशक तत्व -- आयरलैण्ड
10. संघात्मक शासन व्यवस्था -- कनाडा
11. अवशिष्ट शक्तियाँ -- कनाडा
12. समवर्ती सूची -- आस्ट्रेलिया
13. आपात उपबन्ध -- जर्मनी
14. संविधान संशोधन -- द० अफ्रीका
15. गणतन्त्र -- फ़्रांस
16. मूल कर्तव्य -- सोवियत संघ
17. तीन सूचियों की व्यवस्था (केंद्र, राज्य व् समवर्ती सूची) -- 1935 के अधिनियम से लिया गया है
ब्रिटेन
विधि निर्माण प्रक्रिया, एकल नागरिकता, मंत्रिमण्डल का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व, औपचारिक प्रधान के रूप में राष्ट्रपति
ऑस्ट्रेलिया
प्रस्तावना की भाषा, केंद्र - राज्य के बीच सम्बन्ध तथा शक्तियों के विभाजन
जापान
कानून द्वारा स्थापित शब्दावली
संविधान सभा के वाद - विवाद
भारतीय संविधान को समझने संविधान सभा की " डिबेट्स " का गंभीर परायण अनिवार्य है | संविधान सभा के वाद विवाद प्रतिवेदन अध्ययन से संविधान निर्माताओं के ध्येयों एवं इच्छाओं का बोध होता है | संविधान सभा की कार्यवाही एवं वाद विवाद काफी विस्तृत है उसके सूक्ष्म अध्ययन से संविधान में प्रयुक्त शब्दावली का स्पस्ट भाव निकाला जा सकता है
संविधियां, अध्यादेश, नियम - विनियम, आदेश आदि
संविधान के मूल प्रलेख के अतिरिक्त संविधियां, अध्यादेश, नियम - विनियम, आदेश आदि भी हमारे संविधान के क़ानूनी तत्व हैं | संविधियां केंद्रीय और राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाई जाती है | केंद्रीय संसद ने अनेक कानून बनाए हैं, जो संविधान के अभिन्न भाग बन गए हैं
संवैधानिक संशोधन
सन् 1950 से, अब तक 104 संशोधन किए जा चुके हैं, वे सभी भारतीय संविधान के अभिन्न स्रोत हैं |
जैसे मूल संविधान में मूल कर्तव्यों उल्लेख नहीं था, किन्तु बाद में 1976 में संविधान के (42 वें) संशोधन अधिनियम द्वारा इस विषय पर एक नया अध्याय संविधान में जोड़ दिया गया
न्यायिक निर्णय
भारतीय संविधान का एक प्रमुख स्रोत न्यायिक निर्णय हैं, जो न्यायाधीशों ने समय समय पर दिए हैं | न्यायाधीश संवैधानिक कानून की व्याख्या करते हैं और उनके निर्णय तब प्रभावी रहते हैं जब तक कि न्यायपालिका स्वयं द्वारा इस सम्बन्ध में कोई अन्य निर्णय न दे दे | भारत के सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा ऐसे अनेक न्यायिक निर्णय दिए गए हैं जो हमारे देश के कानून का उसी प्रकार महत्वपूर्ण भाग हैं, जिस प्रकार कि संविधान के विभिन्न अनुच्छेद |
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