सोमवार, 29 मार्च 2021

विश्व के प्रमुख्य ज्वालामुखी / vishv ke pramukhy jvalamukhi


विश्व के प्रमुख्य ज्वालामुखी

 

विश्व के प्रमुख्य ज्वालामुखी 


लाबा जब ज्वालामुखी छिद्र के चारों तरफ क्रमशः जमा होने लगता है तो ज्वालामुखी शंकु का निर्माण होता है 

जब जमाव अधिक हो जाता है तो शंकु काफी बड़ा हो जाता है तथा पर्वत का रूप धारण  है इसे ज्वालामुखी पर्वत कहते है 

इसे ऊपर बीच में एक छिद्र  है जिसे ज्वालामुखी छिद्र कहते है 

इस छिद्र का धरातल के नीचे भूगर्भ से सम्बन्ध एक पतली नली से होता है इस नली को ज्वालामुखी नली कहते है 




ज्वालामुखी के प्रकार


ज्वालामुखी को दो प्रकार से विभाजित किया गया है 
1. तीव्रता के आधार पर 
2. सक्रियता के आधार पर 

तीव्रता के आधार पर 

1. पीलीयन तुल्य ज्वालामुखी

यह सबसे अधिक तीव्र ज्वालामुखी होता है एवं सर्वाधिक विनाशकारी होता है इसका लावा अत्यधिक अम्लीय एवं चिपचिपा होता है 

जैसे -
  • मार्टिनिक  द्वीप पर माउन्ट पीली 
  • सुमात्रा व जावा के निकट क्राकाटाओ 
  • फिलीपीन्स के निकट माउन्टताल 
2. वैल्केनो तुल्य ज्वालामुखी

वैल्केनो तुल्य ज्वालामुखी में अम्लीय से लेकर क्षारीय तक प्रत्येक मैग्मा का उद्गार होता है इसकी तीव्रता पीलीयन तुल्य ज्वालामुखी से कुछ कम होती है 
इस प्रकार के ज्वालामुखी में गैसों की अधिक मात्रा बाहर निकलती है जिसके कारण यह फूलगोभी की तरह दिखाई देता है 

जैसे- 
  • इटली में माउन्ट विसूवियस 

3. स्ट्राम्बोली तुल्य ज्वालामुखी

इस प्रकार के ज्वालामुखी से निकलने वाले  मैग्मा में सिल्का की मात्रा कुछ कम  रहती है इस प्रकार के ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसों में अगर अवरोध उत्पन्न हो जाय तो गैसें विस्फोट के साथ बाहर नहीं निकलती है 

जैसे - 
  • भूमध्य सागर में लिपारी द्वीप / इटली में स्थित स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी 
  • स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तम्भ भी कहते है 

4. हवाईन तुल्य ज्वालामुखी

इस प्रकार के ज्वालामुखी का उद्गार अत्यन्त शान्त होता है क्योकि इससे निकलने वाले मैग्मा में सिल्का की मात्रा वहुत कम होती है अर्थात यह क्षारीय होता है जो ज्वालामुखी के छिद्र से निकलकर काफी दूर तक फैल जाता है इस प्रकार के ज्वालामुखी का शंकु कम ऊँचाई वाला होता है 

जैसे - 
  • अमेरिका के हवाईन द्वीप पर पाया जाने वाला हवाईन ज्वालामुखी 
सक्रियता के आधार पर 

1. सक्रीय ज्वालामुखी

ऐसे ज्वालामुखी  जिनसे लावा गैस व विखण्डित पदार्थ निरंतर निकलते रहते है सक्रीय ज्वालामुखी कहलाते है 

जैसे 

  • सिसली के उत्तर में लेपारी द्वीप पर स्थिति स्ट्राम्बोली 
  • इक्वेडोर का कोटोपेक्सी 
यह विश्व का सबसे ऊँचा सक्रीय ज्वालामुखी है जिसकी ऊँचाई 19613 फ़ीट है 
  • सिसली द्वीप का - माउन्ट एटना 
  • अंटार्कटिका का - माउन्ट  ईरेवस 
  • अंडमान निकोबार के बैरन द्वीप में स्थिति ज्वालामुखी
  • हवाई द्वीप का - मोनालोवा 
  • अर्जेन्टीना ( चिली की सीमा पर स्थिति ) - ओजस डेल सलाडो 

विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थिति सक्रीय ज्वालामुखी ओजस डेल सलाडो है 

2. प्रसुप्त / सुषुप्त ज्वालामुखी

ऐसे ज्वालामुखी जो वर्षों से सक्रीय नहीं है परन्तु कभी भी विस्फोट कर सकते है प्रसुप्त ज्वालामुखी कहलाते है 

जैसे - 
  • इटली का - विसूवियस 
  • जापान का - फ्यूजीयामा 
  • इण्डोनेशिया का - क्राकाटाओ 
  • अंडमान निकोबार का नारकोंडम द्वीप में स्थिति ज्वालामुखी

3. मृत / शांत ज्वालामुखी

ऐसे ज्वालामुखी जिनमे हजारों वर्षों से कोई भी उदभेदन नहीं हुआ है 
मृत या शांत ज्वालामुखी कहलाते है इन ज्वालामुखियों में भविष्य में कोई उद्गार होने की सम्भावना भी नहीं होती है 

जैसे 
  • ईरान में - देवबंद व कोहसुल्तान 
  • म्यांमार का -  माउन्ट पापा 
  • इक्वेडोर का - चिम्वाराजो 
  • एण्डीज पर्वत पर स्थिति - एकांकागुआ 
  • तंजानिया के केनिया में स्थिति - किलीमंजारो 

विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थिति शांत 
ज्वालामुखी एकांकागुआ है जिसकी ऊँचाई 6960 मी० है 

विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी की लिस्ट देखने के लिए यहाँ Click करै 

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Shailesh Kumar 
        M.Sc, B.Ed 

शनिवार, 27 मार्च 2021

प्रमुख देशों के राष्ट्रीय स्मारक / pramukhy deshon ke rastreey smark


प्रमुख देशों के राष्ट्रीय स्मारक



प्रमुख देशों के राष्ट्रीय स्मारक



राष्ट्रीय स्मारक 


एक स्मारक एक संरचना है जिसे किसी प्रसिद्ध व्यक्ति या घटना के लोगों को याद दिलाने के लिए बनाया जाता है।

किसी देश का राष्ट्रीय स्मारक एक ऐसा स्मारक होता है जिसे उस देश के इतिहास, राजनीति  या उस्के लोगों के अनुकूल किसी अति महत्वपूर्ण घटना (जैसे: किसी युद्ध या देश की संस्थापना) की स्मृति  में निर्मित किया गया हो, 

ऐसे स्मारक को उस देश में प्रायः संपूर्ण राष्ट्र, उसके लोग, उसकी संस्कृती एवं उसकी राष्ट्रीय विचारधारा के स्मारकीय प्रतीक के रूप में भी दर्शाया जाता है। 


राष्ट्रीय स्मारक को देश के संस्कृती, सम्मान एवं विचारधारा का प्रतीक एवं राष्ट्रीय-पहचान का अभिन्न अंग माना जाता है।


भारत का राष्ट्रीय स्मारक 

इंडिया गेट, जिसे मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक कहा जाता है, भारत का राष्ट्रीय स्मारक है। 

यह 1914-21 के दौरान मारे गए अविभाजित भारतीय सेना के 82,000 सिपाहियों की याद में निर्मित एक स्मारक है तो नई दिल्ली में स्थित है।



प्रमुख देशों की राष्ट्रीय स्मारक
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Shailesh Kumar 
        M.Sc, B.Ed 

गुरुवार, 25 मार्च 2021

शुंग वंश / कण्व वश / आंध्र सातवाहन वंश / sung vansh / kanav vansh / aandra satvahan vansh

शुंग वंश / कण्व वश / आंध्र सातवाहन वंश



शुंग वंश, कण्व वश, आंध्र सातवाहन वंश

मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद ब्राह्मण साम्राज्य का उदय हुआ 

इस साम्राज्य के अंतर्गत प्रमुख शासक (शुंग वंश, कण्व वंश, आन्ध्र सतवाहन वंश, वाकाटक वंश) थे  

शुंग वंश (185 से 149 ई०पू०)

1. अंतिम मौर्य शासक ब्रहद्रथ की हत्या करके उसके सेनापति पुष्यमित्र  शुंग ने 185 ई०पू० में कर शुंग वंश की स्थापना  की 

2. शुंग वंश की राजधानी विदिशा थी 

3. शुंग काल में ही भागवत धर्म का उदय एवं विकास हुआ तथा वासुदेव विष्णु की उपासना हुई 

4. इस काल में ही मनुस्मृति ग्रन्थ की रचना हुई थी 

5. पुष्पमित्र शुंग के बाद अग्निमित्र शासक बना 

6. शुंग वंश का अंतिम शासक - देवभूति 

7. देवभूति की हत्या 75 ई०पू० में वासुदेव ने कर दी 


कण्व वश (75 से 30 ई०पू०)

1. शुंग वंश ने अंतिम शासक देवभूति की हत्या करके उसके सविच वासुदेव ने 75 ई०पू० में कण्व वंश की नींव रखी थी 

2. कण्व वंश राजधानी - पाटिलपुत्र थी 

3. कण्व वंश में चार शासक हुए वासुदेव, भूमिमित्र, नारायण, सुशर्मन 

4. कण्व वंश का अंतिम शासक सुशर्मन था 

5. शिमुक ने 60 ई०पू०  में सुशर्मा की हत्या कर दी थी 

आंध्र सातवाहन वंश (30 ई०पू० - 250 ई०)

 1. शिमुक ने सुशर्मन की हत्या कर आंध्र सातवाहन वंश की स्थापना की 

2. इस वंश का सर्वाधिक महान शासक गौतमी पुत्र शातकर्णी था 

3. इस शासन काल में ताँवे, चांदी, सीसा तथा काँसे के सिक्के काफी  प्रचलित  थे 

4. शातकर्णी ने शक शासक नहपाल को पराजित किया 

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Shailesh Kumar 
        M.Sc, B.Ed 

बुधवार, 24 मार्च 2021

विश्व की प्रमुख चट्टानें / vishv ki pramukhy chattanai



विश्व की प्रमुख चट्टानें


विश्व की प्रमुख चट्टानें

पृथ्वी के कृष्ट में मिलने बाले सभी प्रकार के मुलायम एवं कठोर पदार्थ को चट्टान कहते है 

चट्टानो की संरचना में 8 प्रमुख खनिजों का योगदान होता है जो की निम्नवत है 

1. आक्सीजन - 46.8 % 
2. सिल्कन - 27.7%
3. एल्युमीनियम- 8.13%
4. लोहा- 5% 
5 . कैल्शियम- 3.63%
6.  सोडियम - 2.83%
7. पोटेसियम- 2.49% 
8. मैग्नेशियम - 2.09%

खनिजों में  6 खनिज़ पदार्थ प्रधान रूप से पाए जाते है 

1. फेल्सपार 
2. क्वार्ट्ज  
3. पाँयराँयसींस 
4. एम्फीबोल्स  
5. अभ्रक 
6. ओलीविन

निर्वाण विधि  के अनुसार चट्टानों को तीन भागों में वांटा गया है 
1. आग्नेय शैल 
2. अवसादी शैल 
3. रूपान्तरित शैल (कायांतरित शैल)

 आग्नेय शैल 

ज्वालमुखी उद्गार के समय भू-गर्भ से निकलने  वाला लावा ही धरातल पर  जमकर ठंडा हो जाने के पश्चात् आग्नेय शैलो में परिवर्तिति हो जाता है 
पृथ्वी की उत्पति के पश्चात् सर्वप्रथम इनका ही निर्वाण होने के कारण इन्हे प्राथमिक शैल भी कहा जाता है 

जैसे - लैकोलिथ, फैकोलिथ, लोपोलिथ, वैथोलिथ, सिल , डाइक आदि 

विशेषताए - 

1. ये चट्टाने खनिज समृद्धि होती है 
2. ये अत्यंत कठोर होती है 
3. ये परतहीन होती है 
4. इनमे जीवाश्म नहीं पाए जाते है इसीलिए इन चट्टानो में कोयला और पैट्रोलियम नहीं पाया जाता है 

अवसादी सैल

पृथ्वी तल पर आग्नेय एवं रूपान्तरित चट्टानों के अपरदन एवं निक्षेपण के फलस्वरूप निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टान कहते है 

विशेषताए - 

1. ये बहुत मुलायम होती है 
2. इन चट्टानों में परतें पायी जाती है 
3. इन चट्टानों में भूमिगत जल की संभावना अधिक होती है 
4. इनमें जीवाश्म पाये जाते है जिस कारण इन चट्टानों में कोयला एवं पेट्रोलियम पाया जाता है 

रूपान्तरित शैल 

ताप एवं दाव के कारण रासायनिक एवं भौतिक क्रियाओं से आग्नेय या अवसादी चट्टानों के रासायनिक संरचना में परिवर्तन होता है तव एक नई प्रकार की चट्टाने बन जाती है जिसे रूपन्तरित या कायान्तरित चट्टानें कहते है 

ये सर्वाधिक कठोर चट्टानें होती है जिनमे जीवाश्म नहीं पाया जाता है 



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